Saturday, 12 December 2020

दर्द की दवा

 मुझे बस सिर्फ आईएएस करना है मैं तड़प रहा हूं कि कब मुझे मौका मिले वापस पढ़ने का और कब में आईएएस की प्रिपरेशन  वापिस स्टार्ट कर पाऊं क्योंकि मुझे आईएस को जीना है मैं वह बनना चाहता हूं मैं वह करना चाहता हूं मुझे उसे करने में खुशी होती है मुझे वह पढ़ने में खुशी होती है शायद मेरी वर्तमान अवस्था कोई समझ ना सके लेकिन मैं अभी बिन पानी मछली की तरह ऐसा महसूस कर रहा हूं कि कब मेरा रीट का एग्जाम हो और मैं कब आईएएस की प्रिपरेशन स्टार्ट कर दू बस आईएएस को सिलेक्शन हो ना हो वह अलग बात है लेकिन बस एक बार मैं अपना 100% दे सकूं मैं यह नहीं चाहता मैं यह बहाना नहीं बनाना चाहता कि मैं लोगों को यह कहूं कि मुझे मौका नहीं मिला वरना मैं करता मैं गरीब परिवार से हूं मेरे फैमिली बैकग्राउंड इतना मजबूत नहीं है मैं हिंदी मीडियम से हूं गाने बहुत सारे हैं पता नहीं लेकिन जब मैं लोग अपनी अपनी अभिरुचि की बात करते हैं तो मे  यह सोचता हूं कि मेरी भी रूचि क्या है तुम मुझे एक ही चीज समझ में आती है मेरी अभिरुचि पढ़ना पढ़ना और बस पढ़ना सो मैं बस पढ़ना चाहता हूं और आई ए एस  4 5 वर्षों से मैं सपने के रूप मे मैं जी रहा हूं शायद मैं मौका भु ना नहीं पा रहा हूं या मौका बना नहीं पा रहा हूं पर जो कुछ भी हो हमारे यहां पर ऐसा चलता है कि पहले नौकरी फिर कुछ भी करो तो मैं भी अपने आपको इसी मायाजाल मैं फसा हुआ हर समय  महसूस करता हूं क्योंकि मैं डरता भी हूं पता नहीं पर यह डर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है जीवन को स्थिरता देने का डर की छोटा-मोटा रोजगार हमारे पास हो ताकि फिर बाद में आप बड़ा सोच सके पता नहीं कब वह समय आएगा जिसका में इंतजार कर रहा हूं सोचता हूं जल्द ही आए लेकिन हां इस बार तो वादा है मेरा इस बार नहीं चुकुगां मुझे और सिक्योरिटी नहीं चाहिए अब सपने चाहिए अब सोच लिया है मैंने कि बस अब नहीं रुकूंगा लेकिन हर बार यह लेकिन खा जाता है कहां से पैसे आएंगे , कैसे क्या करूंगा ,बुक्स कैसे खरीद लूंगा कपड़े कैसे खरीद लूंगा खुद  को मैनेज कैसे करूंगा एक पत्नी है मेरी ,बहुत सपने है उसके साथ मेरे उसको क्या दे पाऊंगा मैं इसीलिए पहले सिक्योरिटी की सोच सोचने लग जाता हूं।



मैंने हमेशा वह किया जो मुझे पसंद नहीं था वो भी केवल सिक्योरिटी के लिए।  सिक्योरिटी कब मेरे सपने और खुशी से बड़ी हो गई पता ही नहीं चला।  कोई अपने सपने कैसे  छोड़ता है ? तब पता चला ।
 हां पर मैंने जीवन में केवल यही किया है पहले एमएससी करना चाहता था केमेस्ट्री  से पर पता नहीं कब एसएससी प्रिपरेशन करने लगा एसएससी कभी मेरे लिए आसान नहीं रही ना मुझे पसंद थी पर 2 साल कैसे बेवकूफी और नासमझी मे निकाल दिए पता ही नहीं चला छोड़ने के बाद समझ में आया कि गलत रास्ता चुन लिया पर पछताने से बेहतर है कि सही रास्ते पर लौट आए पर जिंदगी इतनी आसान कहां है जब आप एक बार गलत रास्ता चुनते हो तो सही रास्ते पर आने में भी वक्त लगता है सो भुगत रहे हैं फिर वही सिक्योरिटी सिक्योरिटी का गेम शुरू हो चुका है और कब तक खेलना पड़ेगा यह अब मुझ पर है इस बार शायद नहीं पक्का छोड़ दूंगा अब अपने लिए कुछ वक्त अपने लिए बहुत कुछ दिया है मैंने अपने हिस्से का अब कुछ अपने लिए।

 2 साल मैंने जीवन की उसे सिक्योरिटी के लिए दे दिए उसके बाद आईएस ही मेरा सपना था फिर भी मैंने आर एस को चुना बीच में B.Ed का भी मन था लेकिन पैसे का डर पैसे नहीं थे  कि मैं एसएससी प्रिपरेशन और बी.एड. दोनों साथ कर पाता सो  मैंने यहां पर भी गलत फैसला किया  और उसका परिणाम  भी 2 साल  ड्रॉप  झेल कर  भुगता बाद में  पता चला कि कितनी बड़ी गलती की है ।

फिर पैसों का भाव  और फिर मेरा आईएस के ऊपर आर एस का चयन । मैंने हमेशा सीढ़ियां ढूंढी है और यह तकनीकी का युग है  जब आप  लिफ्ट से नहीं जाएंगे  तो वक्त पर नहीं पहुंच पाएंगे शायद  यही हो रहा है मेरे साथ ।आईएएस के लिए भी यही डर बना रहा है पैसे होते तो तैयारी करता, पैसे होते  तो अच्छी बुक्स, अच्छे नोट, और खुश मन से तैयारी करता। आर एस की मेरी इतनी इच्छा नहीं थी लेकिन आर ए एस एक  जरिया है  मंजिल तक पहुंचने का लेकिन बीच मैं फिर सिक्योरिटी आ गई और फिर मैं रीट में लग गया आर.ए.एस. नही आती तब तक यहीं सही कुछ न कुछ तो लगना ही पड़ेगा। अभी मैं आर एस करना नहीं चाहता आईएस ही मेरी फर्स्ट चॉइस है पर फिर वह पैसा इतना पैसा वक्त कहां से लें क्योंकि एक समय बाद आपका वक्त आपका नहीं रहता ।
लेकिन अब मन बना लिया है  जो करना है तो करना है  अब लेकिन की जगह जीवन में ना रहे तभी  कुछ भला हो सकता है सो अगली बार दर्द को  जड़ से खत्म करने के लिए दर्द की दवा लेनी ही पड़ेगी  । मैं करूंगा क्योंकि मैं कर सकता हूं ।

Wednesday, 4 December 2019

निर्भया

इंसान इतना कैसे बद्तर होते जा रहे है ।
समझ और भावनाए कहा चली गई है ?
ये कैसी बीस वी सदी है ? 
जहां एक इंसान को दूसरे से खतरा है, जहां औरत को सुरक्षा देने की बात बोली जाती हैं । कौन सुरक्षा देगा , पुरुष ! जिस से उसे खतरा हैं । हम किस दिशा में जा रहे हैं क्या इस मानव समाज का नैतिक पतन हो गया है ?

कितनी निकृष्ट और सरमसार करने वाली घटना है । 
यह नारियों की पूजा करने वाला देश है । दुःख होता हैं सोच कर के भी । भावना से आंखे नम है, और लाल भी । डूब मरना चाहिए जबरदस्ती करने की एक मानव   (दरिन्दा) सोच भी कैसे सकता है । ओह... तुम मानव तो नहीं हो सकते। यह कैसा इंसाफ़ है  जो जो मरने के बाद मिलता है । इंसाफ़ तो जीवित इंसान के लिये होता है ना !

 ये रेप और जलाकर फेंक देना ये मानव की हरकत नहीं हो सकती ये दरिंदो की हरकत है तो सजा भी दरिंदों वाली हो। 

मोमबत्ती की जरूरत नहीं है सर ! सपथ की जरूरत है  ।बदल ने की जरूरत है समाज, सोच और मानसिकता को ताकि समाज में मानव पैदा हो देरिंदा नहीं ताकि इन घटनाओं का दोहरान ना हो ।

सरकार जीतना कानून बनाने में ऊर्जा लगाती हैं उतना उसे सही से लागू करने में भी लगाए इस खराब कानून तन्त्र की भी जिम्मेदारी है जो हमेशा लाचारियों की चादर ओढ़े रहती है। यह तन्त्र उन दरिंदो की हिम्मत और बढ़ाता है।

 बाकि ये घटनाएं होती आ रही है ये अदालते लगती आ रही हैं । बहुत कुछ बदलना चाहिए जो अौरत को भी बिना भय का संसार दे सके । विश्व की पचास प्रतिसत जनसंख्या निडर होकर खुले आकाश की स्वछन्द हवा में श्वास ले सके।

Monday, 25 November 2019

motivation

किसी से  गुस्सा हैं , कुछ उसे दिखाना चाहते है , उस समय जो गुस्सा आता है तो क्या करते हो । ख़ून तो बहुत उबाल लेता है पर क्या करे कुछ कर भी तो नहीं सकते । कुछ करने के लिए ओकात चाहिए। अोकात कुछ करने से आती हैं बैठे बैठे नहीं। 

ख्वाब मत पालिए, जुनून पालिए।
सारे क्वेशचन एक बार में हल जो जायेंगे। नहीं हो तो जुनून जब रखो तब तक जिंदा हो क्योंकि जिंदा हो तो जिंदा रहो भी।

Friday, 26 July 2019

कितनी ममता , कितना प्यार

डियर मम्मी, यह निशि्त है कि मां सा प्रेम करने वाला ब्रमाण्ड मे कोई ओर है ही नहीं और न तुम्हारे प्रेम की किसी से तुलना करने का मेरा सामर्थ्य है तुम्हारा प्रेम परमात्मा है | यूहीं न मेरे ममत्व की तुलना अपने प्रेम से किया करो |
हार किसी की भी हो , हारेगा प्रेम ही |

मेरा प्रेम बँटा नहीं , तुम तो जानती हो तुम जितना मेरे को प्रेम करती हो उतना ही पापा से भी प्रेम करती हो और मेरे जन्म से पूर्व ही उतना ही करती थी | जो कुछ बँटा है वो दरअसल प्रेम नहीं वो समय है |

प्रेम संपूर्ण है और इसे पैदा होने के बाद मृत्यु तक कोई नहीं बाँट सकता है|

Wednesday, 10 July 2019

ज़ुनून

डियर पापा , बहुत सी चीजें चुभ गई है | वादा है हर सेंकड़ और सैकड़े का हिसाब किया और दिया जायेगा | सटक गई है...2020 ...

लव यू पापा ... आप जान हो मेरी |

Thursday, 29 September 2016

मेला

पिताजी क्या देखने गये होगें?
  मन ही मन बहुत रोए होगें
  उन खिलौनों को देख के,
मेरी याद तो बहुत आयी होगी
एक बार तो आँखें भर आयी होगी
रोकते-रोकते(अपने दोस्तों के साथ)
मोतियों की सेज निकल आयी होगी
माँ को भी मिठाई कहाँ भायी होगी?
 बेटी ने कहने पर जबरन खाई होगी


पति के साथ देख सखियों को
मन उसका भी मचल आया होगा
प्रीतम का चेहरा ही याद आया होगा
   आज तो होते वो मेरे साथ
  सोचते सोचते जी भर आया होगा
   पर आंसू एक न लाया होगा
  दौड़ पड़ी होगी बिस्तर की ओर
तब सैलाब यादों का उमड़ आया होगा।।।।


  

Saturday, 13 August 2016

पुराने पन्ने

  आज भी मैं वहीं राह पर हूँ
  वहीं यकीन वहीं इन्तज़ार है
     दुनिया बदल चुकी है
पर तेरे प्रितम के चेहरे की प्रित वही है


  समझ मैं नहीं आता है
क्या बुरा किया मैंने हे शशि! तुम्हारा
वो झगमग उजाला वो प्रिया की प्रित
और उसकी महकती आँखों का साथ
 और वो चाँदनी में जुल्फों की छाव
    नहीं भूल पाता हूँ.....
   बस.... वही याद करता हूँ


  चाहता नहीं घाव हरे करना
इसलिए दिनकर के प्रकाश में रहता हूं
  दर्पण फेंक देना चाहता हूँ
  पर फेंक न पाता हूँ
 कहीं दिख न जाये वो दिन
वो चेहरा, वह प्यार भरा संसार


अब नैन चेहरे पर नहीं अटकते है
 जलने से अब हाथ भी डरते हैं 
 विश्व परिवर्तन के साथ ही 
  ह्रदय भी मेरा बदल जाये 
यहीं आशा लिए ईश चरण पड़ा हूँ 
दर्द सहने की हिम्मत न रही 
प्राण देने को पीछे पड़ा हूँ। 


  क्यों ये दिन वापिस आया 
क्यों प्रित को पुनः संजीवन पिलाया 
रोशनी आयी, पहले क्या कम थी? 
 और अब अन्धा क्यों बनाया 


अब हे शशि! तु चला जा 
बुरी नजर न प्रित को लगा 
तेरा प्रिय तेरी राह देख रहा है 
विश्व सो रहा है, तु भी सो जा। 


मैं अब न प्रित गले लगाऊगाँ
 विश्वास कर के देख मेरा 
मैं वापस न जलने जाऊगाँ 
अब आग को गले न लगाऊगाँ।।।