मैंने हमेशा वह किया जो मुझे पसंद नहीं था वो भी केवल सिक्योरिटी के लिए। सिक्योरिटी कब मेरे सपने और खुशी से बड़ी हो गई पता ही नहीं चला। कोई अपने सपने कैसे छोड़ता है ? तब पता चला ।
हां पर मैंने जीवन में केवल यही किया है पहले एमएससी करना चाहता था केमेस्ट्री से पर पता नहीं कब एसएससी प्रिपरेशन करने लगा एसएससी कभी मेरे लिए आसान नहीं रही ना मुझे पसंद थी पर 2 साल कैसे बेवकूफी और नासमझी मे निकाल दिए पता ही नहीं चला छोड़ने के बाद समझ में आया कि गलत रास्ता चुन लिया पर पछताने से बेहतर है कि सही रास्ते पर लौट आए पर जिंदगी इतनी आसान कहां है जब आप एक बार गलत रास्ता चुनते हो तो सही रास्ते पर आने में भी वक्त लगता है सो भुगत रहे हैं फिर वही सिक्योरिटी सिक्योरिटी का गेम शुरू हो चुका है और कब तक खेलना पड़ेगा यह अब मुझ पर है इस बार शायद नहीं पक्का छोड़ दूंगा अब अपने लिए कुछ वक्त अपने लिए बहुत कुछ दिया है मैंने अपने हिस्से का अब कुछ अपने लिए।
2 साल मैंने जीवन की उसे सिक्योरिटी के लिए दे दिए उसके बाद आईएस ही मेरा सपना था फिर भी मैंने आर एस को चुना बीच में B.Ed का भी मन था लेकिन पैसे का डर पैसे नहीं थे कि मैं एसएससी प्रिपरेशन और बी.एड. दोनों साथ कर पाता सो मैंने यहां पर भी गलत फैसला किया और उसका परिणाम भी 2 साल ड्रॉप झेल कर भुगता बाद में पता चला कि कितनी बड़ी गलती की है ।
फिर पैसों का भाव और फिर मेरा आईएस के ऊपर आर एस का चयन । मैंने हमेशा सीढ़ियां ढूंढी है और यह तकनीकी का युग है जब आप लिफ्ट से नहीं जाएंगे तो वक्त पर नहीं पहुंच पाएंगे शायद यही हो रहा है मेरे साथ ।आईएएस के लिए भी यही डर बना रहा है पैसे होते तो तैयारी करता, पैसे होते तो अच्छी बुक्स, अच्छे नोट, और खुश मन से तैयारी करता। आर एस की मेरी इतनी इच्छा नहीं थी लेकिन आर ए एस एक जरिया है मंजिल तक पहुंचने का लेकिन बीच मैं फिर सिक्योरिटी आ गई और फिर मैं रीट में लग गया आर.ए.एस. नही आती तब तक यहीं सही कुछ न कुछ तो लगना ही पड़ेगा। अभी मैं आर एस करना नहीं चाहता आईएस ही मेरी फर्स्ट चॉइस है पर फिर वह पैसा इतना पैसा वक्त कहां से लें क्योंकि एक समय बाद आपका वक्त आपका नहीं रहता ।
लेकिन अब मन बना लिया है जो करना है तो करना है अब लेकिन की जगह जीवन में ना रहे तभी कुछ भला हो सकता है सो अगली बार दर्द को जड़ से खत्म करने के लिए दर्द की दवा लेनी ही पड़ेगी । मैं करूंगा क्योंकि मैं कर सकता हूं ।
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